প্রকাশ/प्रकाश

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The Light


 প্রকাশ  
 মিষ্টি দে

আমি এভারেস্ট ছু৺য়েছি স্বপ্নে,
পার হয়েছি ইংলিশ চ্যানেল
আমি প্রাণ খুলে হেসেছি-
কে৺দেছি দুঃখের বেড়াজাল ডিঙ্গিয়ে
স্বপ্নের বাহুডোরে খেলেছি-
স্বপ্ন পূরণের খেলা
তবুও-
আমি আমার মত বে৺চেছি,
প্রতিদিনের মুখোমুখি লড়াইয়ে
বাস্তবের বিষ নিঃশ্বাসে, খুঁজেছি বিশ্বাস
যেখানে স্বপ্ন নয়, নেই স্বপ্ন ভাঙার ভয়
আমি লিখেছি আমার নাম,
সমুদ্র বালু-রাশির তীরে
আমি বে৺ধেছি মিলনের সুর,
বেহালার সেই তারে
পা মিলিয়েছি জনতার ভীরে
শুধু আমি চেয়েছি, বাস্তবের চোখের আলোয়
স্বপ্নের আহুতিতে গড়ে উঠুক
স্বপ্ন পূরণের বাস্তব চিহ্ন …..

प्रकाश
अनुबाद
देवदीप मुखर्जी

स्वप्न में
स्पर्श किया मैंने एवरेस्ट
पार किया है इंगलिश चैनल
स्वप्‍न में
प्राणभर हँसती रहीं हूं मैं
दु:खों की चौहद लांघ रोई हूं
सपनों के आलिंगन में
खेलती रहीं हूं सपने पूरे होने का खेल
फिर भी
प्रतिदिन सम्मुख-समर में
जीवित हूं अपनी तरह
यथार्थ का विष नि:श्वास में,
ढूंढती हूं विश्वास
जहां नहीं हो सपने,
न ही हो सपने टूटने का डर
समुद्र तट की बालुका में
लिखा मैंने अपना नाम
वायलिन के उस तार में
सुर दिया मिलन का
भीड में कदम मिलाती रही
सिर्फ चाहा मैंने
यथार्थ की रोशनी में
आहूत सपनों से उठ खडे हों
स्वप्न पूर्ण होने के
वास्तविक कुछ चिह्न ।।

                           मीठी डे                           
                             

 


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