अवैध प्रेम

© मिष्टी डे

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प्रेम क्या सच में अवैध होता है ?

प्रेम की वैधता किस यन्त्र से मापी जाती है ?

जैसे प्यार की गहराई नहीं मापी जा सकती

वैसे ही क्या नहीं मापी जा सकती है प्रेम की वैधता ?


प्यार की वैधता समाज के सृष्टिशील कर्ता व्यक्तियों के 

धारावाहिक दृष्टिकोण से उपजती है.. 

प्यार की परिभाषा भी वे ही तय करते हैं.. 


" पुरुष और नारी का परस्पर आकर्षण, 

पास आना, शारीरिक मिलन ही होता है 

प्रेम का परिपूर्ण रुप.. "

इससे अलग नहीं होता है कोई प्रेम.. 


और प्रेम की वैधता..? 

धर्म मिले, जाति मिले, 

मिलना चाहिए और भी बहुत कुछ... 

और यदि एक दूसरे के प्रेम में 

कोई एक या दोनों ही विवाहित हों

सहज में ही तब

मान लिया जाता है वह अवैध..

 

आप ही कहिए,, किसने कहा है कि

शारीरिक सम्पर्क ही है प्यार की पूर्णता..!!!

आप ही कहिए...किसने कहा है कि 

नियम नीति मानकर ही करना होगा प्यार..!!!


यदि प्रेम होता है तो यह

एकांतिक रुप में भी तो हो सकता है ..

यदि ऐसा नहीं होता तो आप किस उद्देश्य से

करते हैं प्रेम ईश्वर से...?? 

नहीं तो क्या यह सम्पूर्णतया स्वार्थ है ..???


पति पत्नी एक ही साथ रहते हुए भी 

रहते हैं अपरिचित एक दूसरे से

कुछ दायित्व और कुछ अभ्यास लिए.. 

याद आती है बचपन की वह सहेली

आज भी आंसू झरते हैं उसके नयनों से


अच्छा कहिए,, ये जो अवैध अवैध कहकर

हम चिल्लाते हैं 

कभी क्या सोचा है 

सच्चा प्रेम मानकर जिसकी

हम पूजा करते हैं वही तो अवैध है..!!! 

राधा कृष्ण का प्रेम, मदन घोष की स्त्री राधा, 

कृष्ण के प्रेम में व्याकुल..!! 

तब क्यों नहीं मानते 

राधा कृष्ण के प्रेम को अवैध..???


दरअसल, हम खुद ही नहीं जानते

प्रेम क्या है..?? 

नहीं तो क्या प्रेम को लेकर स्वेच्छाचारी होते..!!


हम ताउम्र ढूंढते है प्रेम 

पर ढूंढ तो पाएंगे तभी

जब जान पहचान लेंगे

प्रेम का सच्चा अर्थ...!!!!

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