স্পন্দন

স্পন্দন ******* "হারিয়ে যায় অনেক কিছু হারিয়ে যায় কথা হারিয়ে যায় সময় পিছু অনেক গোপন ব্যথা হারিয়ে যায় একটু হাসি চোখের পলক ফেলা হারিয়ে যায় মিষ্টি মধুর গোপন প্রেমের খেলা " ¤¤¤ মিষ্টি দে स्पंदन अनुबाद क देवदीप मुखर्जी ****** " खो जाता है बहुत कुछ खो जाते हैं शब्द उच्चरित समय के साथ गुम होती अनेक गुप्त व्यथा ओझल होती वह स्मित हंसी धीरे से नजरें झुकाना गुम होती कहीं गोपन प्रेम की मीठी मधुर क्रीडा.." ¤¤¤ मिष्टी